SEMICONDUCTOR DOPING IN HINDI
DOPING
डोपिंग एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा किसी सेमीकंडक्टर मेटल जैसे सिलिकॉन जेर्मेनियम जैसे तत्व में कुछ ऐसे असुद्धधीयो (impurities) मिला देना जिससे उसके संरचनात्मक गुणो में परिवर्तन आ जाता है इसे ही डोपिंग कहते है doping से किसी भी सेमीकंडक्टर में चार्ज पार्टिकल की संख्या को बढ़ाया जा सकता है
डोपिंग का एक और अर्थ है कभी कभी खिलाड़ियों के द्वारा कुछ ऐसी दवाओं का प्रयोग करते है जिससे उनकी छमता बढ़ जाती है ठीक इसी प्रकार सेमीकंडक्टर मटेरियल में कुछ ऐसी तत्वों को मिला दिया जाता है जिससे उनके गुणों में परिवर्तन आ जाता है तो उसे डोपिंग कहते हैं
Impurities को मिलाने की अलग अलग विधि हो सकती है जैसे मेटल्स को पिघलाकर में इम्प्यूरिटीस मिला दी जाती है इसको मिलाने के लिए कितनी ग्राम या कितनी मात्रा में इन इम्प्यूरिटीस को डालना है इसके लिए Avogadro संख्या का प्रयोग किया जाता है
डोपिंग करते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो इम्प्यूरिटीस इसमे मिला रहे है उसकी मात्रा कितनी होगी तभी डोपिंग की प्रक्रिया सही से हो पाएगी डोपिंग से हमे दो तरह के मटेरियल प्राप्त होते है एक फ्री इलेक्ट्रान और दूसरा होल्स या चार्ज carrier
N TYPE SEMICONDUCTOR
P TYPE SEMICONDUCTOR
सिलिकॉन के एटम में सिलिकॉन एटम एक ग्रिड के रूप में व्यस्थित रहते है उनकी एक symmetry यानी समरूपता होती है और ये सब एक covalent bond से जुड़े होते है जब हम डोपिंग की क्रिया करते है तब सिलिकॉन के एटम की जगह किसी दूसरे एटम को डाल दिया जाता है इस प्रक्रिया को डोपिंग कहते है लेकिन जिस एटम से उसे बदला जा रहा है उसका साइज भी सिलिकॉन एटम के साइज के बराबर होना चाहिए
N TYPE SEMICONDUCTOR
इसमे डोपिंग के लिए trivalent element को चुना जाता है जैसे बोरोन , अलुमिनियम , इंडियम यानी जिसके अंतिम ऑर्बिट में 3 इलेक्ट्रान होते है
जब aluminium को सिलिकॉन एटम में डाल जाता है तब अलुमिनियम के 3 एटम सिलिकॉन के तीन एटम से जुड़ जाते है लेकिन एक इलेक्ट्रान कम पड़ जाता है सिलिकॉन के लिए और इसी कमी के कारण इसमे होल बनते है एक अलुमिनियम का एटम डालने से एक होल बनता है आप जितने एटम और डालेंगे उतने ही होल्स बनते जायेगे
P TYPE SEMICONDUCTOR
इसमे हम पेंटावेलेंट एटम को मिलते है जैसे आर्सेनिक,एंटीमनी, फॉस्फोरस यानी जिसके आखरी ऑर्बिट में 5 इलेक्ट्रान हो जब यदि एटम सिलिकॉन के एटम में जाता है तब इसके 4 इलेक्ट्रान सिलिकॉन के 4 इलेक्ट्रान के साथ जुड़ जाते है लेकिन एक इलेक्ट्रान एक्स्ट्रा रह जाता है और इसी से फ्री इलेक्ट्रान बनता है
डोपिंग एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा किसी सेमीकंडक्टर मेटल जैसे सिलिकॉन जेर्मेनियम जैसे तत्व में कुछ ऐसे असुद्धधीयो (impurities) मिला देना जिससे उसके संरचनात्मक गुणो में परिवर्तन आ जाता है इसे ही डोपिंग कहते है doping से किसी भी सेमीकंडक्टर में चार्ज पार्टिकल की संख्या को बढ़ाया जा सकता है
डोपिंग का एक और अर्थ है कभी कभी खिलाड़ियों के द्वारा कुछ ऐसी दवाओं का प्रयोग करते है जिससे उनकी छमता बढ़ जाती है ठीक इसी प्रकार सेमीकंडक्टर मटेरियल में कुछ ऐसी तत्वों को मिला दिया जाता है जिससे उनके गुणों में परिवर्तन आ जाता है तो उसे डोपिंग कहते हैं
Impurities को मिलाने की अलग अलग विधि हो सकती है जैसे मेटल्स को पिघलाकर में इम्प्यूरिटीस मिला दी जाती है इसको मिलाने के लिए कितनी ग्राम या कितनी मात्रा में इन इम्प्यूरिटीस को डालना है इसके लिए Avogadro संख्या का प्रयोग किया जाता है
डोपिंग करते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो इम्प्यूरिटीस इसमे मिला रहे है उसकी मात्रा कितनी होगी तभी डोपिंग की प्रक्रिया सही से हो पाएगी डोपिंग से हमे दो तरह के मटेरियल प्राप्त होते है एक फ्री इलेक्ट्रान और दूसरा होल्स या चार्ज carrier
N TYPE SEMICONDUCTOR
P TYPE SEMICONDUCTOR
सिलिकॉन के एटम में सिलिकॉन एटम एक ग्रिड के रूप में व्यस्थित रहते है उनकी एक symmetry यानी समरूपता होती है और ये सब एक covalent bond से जुड़े होते है जब हम डोपिंग की क्रिया करते है तब सिलिकॉन के एटम की जगह किसी दूसरे एटम को डाल दिया जाता है इस प्रक्रिया को डोपिंग कहते है लेकिन जिस एटम से उसे बदला जा रहा है उसका साइज भी सिलिकॉन एटम के साइज के बराबर होना चाहिए
N TYPE SEMICONDUCTOR
इसमे डोपिंग के लिए trivalent element को चुना जाता है जैसे बोरोन , अलुमिनियम , इंडियम यानी जिसके अंतिम ऑर्बिट में 3 इलेक्ट्रान होते है
जब aluminium को सिलिकॉन एटम में डाल जाता है तब अलुमिनियम के 3 एटम सिलिकॉन के तीन एटम से जुड़ जाते है लेकिन एक इलेक्ट्रान कम पड़ जाता है सिलिकॉन के लिए और इसी कमी के कारण इसमे होल बनते है एक अलुमिनियम का एटम डालने से एक होल बनता है आप जितने एटम और डालेंगे उतने ही होल्स बनते जायेगे
P TYPE SEMICONDUCTOR
इसमे हम पेंटावेलेंट एटम को मिलते है जैसे आर्सेनिक,एंटीमनी, फॉस्फोरस यानी जिसके आखरी ऑर्बिट में 5 इलेक्ट्रान हो जब यदि एटम सिलिकॉन के एटम में जाता है तब इसके 4 इलेक्ट्रान सिलिकॉन के 4 इलेक्ट्रान के साथ जुड़ जाते है लेकिन एक इलेक्ट्रान एक्स्ट्रा रह जाता है और इसी से फ्री इलेक्ट्रान बनता है
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