BATTERY OR CELL WORKING IN HINDI
सेल यानी बैटरी एक एलेक्ट्रोकेमिकाल सेल होता है जिसमे केमिकल की एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल जाता है हम जानते है कि बैटरी में केमिकल होते है इन केमिकल के टूटने और जुड़ने से जो एनर्जी मिलती है उस एनर्जी से हैम उसे इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देते है एनर्जी को कभी पैदा नही किया जा सकता और न ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल एक अवस्था से दूसरी अवस्था मे बदला जा सकता है जैसे इलेक्ट्रिक जनरेटर में हम मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदलते है इसी प्रकार सेल में केमिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में बदला जाता है यह हम सिंपल लीड एसिड बैटरी के बारे में जानेंगे
लेड एसिड बैटरी में मुख्य रूप से तीन चीज़े होती है
1) ANODE PLATE OR ROD
2) CATHODE PLATE OR TOD
3) ELECTROLYTE
1)ANODE :- जिंक या लेड का प्रयोग किया जा सकता है
2)CATHODE :- मुख्य रूप से कॉपर यानी तांबा के रॉड का प्रयोग किया जाता है
3) ELECTROLYTE :- सल्फ्यूरिक अम्ल जिसे H2SO4 कहा जाता है CUSO4 कॉपर सलफेट इसका उदाहरण है
इसमे एक पात्र में दो रॉड को डालकर उनमे इलेक्ट्रोलाइट को भर दिया जाता है इनमे से एक रॉड एनोड और एक रॉड कैथोड होती है
H2so4 को जब इस पात्र में डाला जाता है तब ये अणु दो आयन में टूट जाती है ये दोनों आयन कुलम फ़ोर्स के कारण एक दूसरे से जुड़े होते है जब ये टूटते है तब ये H2++ और SO4- - आयन बन जाते है जब किसी एटम यानी परमाणु से किसी इलेक्ट्रान को निकाला या उस परमाणु में इलेक्ट्रान को डाला जाता है उस वक़्त एटम आयन में बदल जाते हैं उदाहरण के लिए यहाँ सोडियम क्लोराइड के आयन बनाने को दिखाया गया है
जब इसको पात्र में डाला जाता है तब ये ज़िंक से क्रिया करती है और zndo4 बना लेती है so4 - - का आयन zn से जुड़ना चाहता है और अपने h2 आयन से अलग होना चाहता है क्योंकि so4 -- को h2++ आयन के जुड़े रहने में ज्यादा एनर्जी लगानी पड़ती है जबकि zn से जुडने में उसे कम एनर्जी खर्च करनी पड़ेगी इस कारण so4-- (zn ) के साथ जुड़ना पसंद करता है zn से जुड़ने के लिए zn को zn++ बनना पड़ेगा यानी उसे आयन बनाना पड़ेगा
जिसके लिए उसे 2 इलेक्ट्रान को त्यागना होगा यानी zn के atom से 2 इलेक्ट्रान को बाहर निकलना होगा zn अपने 2 इलेक्ट्रान को धकेल कर रॉड के ऊपर सिरे पर भेज देता है ये इलेक्ट्रान दौड़कर रॉड के ऊपरी सिरो में आकर जमा होने लगते है लेकिन इन इलेक्ट्रान को जाने का रास्ता नही मिलता इसलिए ये इलेक्ट्रान वही जमा होने लगते है zn अभी तक z n++ नही बना है क्योंकि zn के इलेक्ट्रान zn में ही है
जब एनोड और कैथोड प्लेट को किसी वायर से आपस मे जोड़ा जाता है तब एनोड प्लेट पर जमा इलेक्ट्रान कैथोड प्लेट की ओर दौड़ना सुरु कर देते है इस प्रकार इलेक्ट्रान का चलना ही इलेक्ट्रिक करंट बनाता है ये इसलिए चलते है क्योंकि सोलुशन में बाकी बचे 2h++ आयन कैथोड प्लेट यानी रॉड के पास आकर जमा होने लगते है जिससे cu प्लेट पर पॉजिटिव पोटेंशियल बन जाता है और एनोड प्लेट पर नेगेटिव पोटेंशियल इस अवस्था मे zn से इलेक्ट्ट्रोन चलकर cu रोड़ में चले जाते है और ये इलेक्ट्रान बाकी बचे 2h++ आयन के साथ मिलकर h2 गैस बना लेते है जो हल्की होने के कारण बुलबुले के रूप में बाहर निकल जाती है
2h++ आयन है क्योंकि इसमें से 2 इलेक्ट्रान निकल गए है अब ये अपना इलेक्ट्रान को वापस पाने चाहता है जब cu से 2e इलेक्ट्रान 2h++ के साथ जुड़ते है तब ये हाइड्रोजन गैस बनाते 2e + 2h = h2 है
बैटरी के अंदर cu प्लेट के पास जो इलेक्ट्रोलाइट होता है वहाँ से so4-- आयन zn प्लेट के पास इलेक्ट्रोलाइट में से होकर चलती है जब ये चलती है तब करंट बनता है इसे बैटरी का internal current कहते है बैटरी के बाहर जो सर्किट होता है उसमें इलेक्ट्रान एनोड से कैथोड की ओर चलता है इसे एक्सटर्नल सर्किट कहते हैं और बैटरी के अंदर इलेक्ट्रान कैथोड से एनोड की ओर चलता है करंट हमेशा इलेक्ट्रान की विपरीत दिशा मे चलती है यानी बैटरी के अंदर भी करंट बनती है और बैटरी के बाहर भी
POTENTIAL DIFFERENCE:- जब किसी सर्किट में लगे किसी भी कंपोनेंट्स जैसे रेसिस्टर के दो पॉइंट के बीच जो अंदर होता है उसे पोटेंशियल डिफरेन्स कहते है पोटेंशियल डिफरेन्स हमेशा दो पॉइंट के बीच होता है जैसे किसी रेसिस्टर के एक साइड पोटेंशियल 7 है और उसके दूसरे तरफ उसका पोटेंशियल 3 है तब उसका पोटेंशियल डिफरेन्स 4 होगा
टर्मिनल पोटेंशियल डिफरेन्स:- जब चार्ज किसी एक टर्मिनल यानी एनोड से कैथोड तक किसी सर्किट से होकर गुजरकर आता है उसे इस सर्किट से गुजरकर आने में जितना काम करना पड़ा उसे टर्मिनल पोटेंशियल डिफरेन्स कहते हैं
EMF OF CELL:- वह फ़ोर्स चार्ज जो इलेक्ट्रान को धक्का देता है और उसको पूरे सर्किट में घूमता है ये फ़ोर्स उसको उस केमिकल के टूटने और जुड़ने से मिलती है इसे स्माल e से दर्षाते है emf को वोल्ट से भी जाना जाता है कैथोड से करंट चलकर वापस उसी जगह आ जाये और इस काम को करने वाली जो एनर्जी होती है उसे emf कहते है
1 कुलम चार्ज को पूरे सर्किट में घुमाने से वह 12 जूल का काम करेगी तब उसका emf 12 वोल्ट होगा
लेड एसिड बैटरी में मुख्य रूप से तीन चीज़े होती है
1) ANODE PLATE OR ROD
2) CATHODE PLATE OR TOD
3) ELECTROLYTE
1)ANODE :- जिंक या लेड का प्रयोग किया जा सकता है
2)CATHODE :- मुख्य रूप से कॉपर यानी तांबा के रॉड का प्रयोग किया जाता है
3) ELECTROLYTE :- सल्फ्यूरिक अम्ल जिसे H2SO4 कहा जाता है CUSO4 कॉपर सलफेट इसका उदाहरण है
इसमे एक पात्र में दो रॉड को डालकर उनमे इलेक्ट्रोलाइट को भर दिया जाता है इनमे से एक रॉड एनोड और एक रॉड कैथोड होती है
H2so4 को जब इस पात्र में डाला जाता है तब ये अणु दो आयन में टूट जाती है ये दोनों आयन कुलम फ़ोर्स के कारण एक दूसरे से जुड़े होते है जब ये टूटते है तब ये H2++ और SO4- - आयन बन जाते है जब किसी एटम यानी परमाणु से किसी इलेक्ट्रान को निकाला या उस परमाणु में इलेक्ट्रान को डाला जाता है उस वक़्त एटम आयन में बदल जाते हैं उदाहरण के लिए यहाँ सोडियम क्लोराइड के आयन बनाने को दिखाया गया है
जब इसको पात्र में डाला जाता है तब ये ज़िंक से क्रिया करती है और zndo4 बना लेती है so4 - - का आयन zn से जुड़ना चाहता है और अपने h2 आयन से अलग होना चाहता है क्योंकि so4 -- को h2++ आयन के जुड़े रहने में ज्यादा एनर्जी लगानी पड़ती है जबकि zn से जुडने में उसे कम एनर्जी खर्च करनी पड़ेगी इस कारण so4-- (zn ) के साथ जुड़ना पसंद करता है zn से जुड़ने के लिए zn को zn++ बनना पड़ेगा यानी उसे आयन बनाना पड़ेगा
जिसके लिए उसे 2 इलेक्ट्रान को त्यागना होगा यानी zn के atom से 2 इलेक्ट्रान को बाहर निकलना होगा zn अपने 2 इलेक्ट्रान को धकेल कर रॉड के ऊपर सिरे पर भेज देता है ये इलेक्ट्रान दौड़कर रॉड के ऊपरी सिरो में आकर जमा होने लगते है लेकिन इन इलेक्ट्रान को जाने का रास्ता नही मिलता इसलिए ये इलेक्ट्रान वही जमा होने लगते है zn अभी तक z n++ नही बना है क्योंकि zn के इलेक्ट्रान zn में ही है
जब एनोड और कैथोड प्लेट को किसी वायर से आपस मे जोड़ा जाता है तब एनोड प्लेट पर जमा इलेक्ट्रान कैथोड प्लेट की ओर दौड़ना सुरु कर देते है इस प्रकार इलेक्ट्रान का चलना ही इलेक्ट्रिक करंट बनाता है ये इसलिए चलते है क्योंकि सोलुशन में बाकी बचे 2h++ आयन कैथोड प्लेट यानी रॉड के पास आकर जमा होने लगते है जिससे cu प्लेट पर पॉजिटिव पोटेंशियल बन जाता है और एनोड प्लेट पर नेगेटिव पोटेंशियल इस अवस्था मे zn से इलेक्ट्ट्रोन चलकर cu रोड़ में चले जाते है और ये इलेक्ट्रान बाकी बचे 2h++ आयन के साथ मिलकर h2 गैस बना लेते है जो हल्की होने के कारण बुलबुले के रूप में बाहर निकल जाती है
2h++ आयन है क्योंकि इसमें से 2 इलेक्ट्रान निकल गए है अब ये अपना इलेक्ट्रान को वापस पाने चाहता है जब cu से 2e इलेक्ट्रान 2h++ के साथ जुड़ते है तब ये हाइड्रोजन गैस बनाते 2e + 2h = h2 है
बैटरी के अंदर cu प्लेट के पास जो इलेक्ट्रोलाइट होता है वहाँ से so4-- आयन zn प्लेट के पास इलेक्ट्रोलाइट में से होकर चलती है जब ये चलती है तब करंट बनता है इसे बैटरी का internal current कहते है बैटरी के बाहर जो सर्किट होता है उसमें इलेक्ट्रान एनोड से कैथोड की ओर चलता है इसे एक्सटर्नल सर्किट कहते हैं और बैटरी के अंदर इलेक्ट्रान कैथोड से एनोड की ओर चलता है करंट हमेशा इलेक्ट्रान की विपरीत दिशा मे चलती है यानी बैटरी के अंदर भी करंट बनती है और बैटरी के बाहर भी
POTENTIAL DIFFERENCE:- जब किसी सर्किट में लगे किसी भी कंपोनेंट्स जैसे रेसिस्टर के दो पॉइंट के बीच जो अंदर होता है उसे पोटेंशियल डिफरेन्स कहते है पोटेंशियल डिफरेन्स हमेशा दो पॉइंट के बीच होता है जैसे किसी रेसिस्टर के एक साइड पोटेंशियल 7 है और उसके दूसरे तरफ उसका पोटेंशियल 3 है तब उसका पोटेंशियल डिफरेन्स 4 होगा
टर्मिनल पोटेंशियल डिफरेन्स:- जब चार्ज किसी एक टर्मिनल यानी एनोड से कैथोड तक किसी सर्किट से होकर गुजरकर आता है उसे इस सर्किट से गुजरकर आने में जितना काम करना पड़ा उसे टर्मिनल पोटेंशियल डिफरेन्स कहते हैं
EMF OF CELL:- वह फ़ोर्स चार्ज जो इलेक्ट्रान को धक्का देता है और उसको पूरे सर्किट में घूमता है ये फ़ोर्स उसको उस केमिकल के टूटने और जुड़ने से मिलती है इसे स्माल e से दर्षाते है emf को वोल्ट से भी जाना जाता है कैथोड से करंट चलकर वापस उसी जगह आ जाये और इस काम को करने वाली जो एनर्जी होती है उसे emf कहते है
1 कुलम चार्ज को पूरे सर्किट में घुमाने से वह 12 जूल का काम करेगी तब उसका emf 12 वोल्ट होगा
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