वोल्टेज करंट और पावर
वोल्टेज करंट और पावर
हम जानते है की सभी धातुओ में फ्री इलेक्ट्रान होते है ये फ्री इलेक्ट्रान के चलने से ही करंट बनता है और इसी से सभी इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलते है इन फ्री इलेक्ट्रान को चार्ज पार्टिकल भी कहा जाता है क्योंकि यही चार्ज पार्टिकल इलेक्ट्रान होते है जो करेंट बनाते है यानि किसी इकाई समय में किसी चालक से गुजरने वाली चार्ज को करंट कहा जाता है वोल्टेज ही इन फ्री इलेक्ट्रान को चलाता है यानी इलेक्ट्रान को धकेलता है ये धक्का जितना अधिक होगा उतने ही चार्ज उस चालक में से बहेंगे और जितने ज्यादा इलेक्ट्रान फ्लो होंगे उतना ही करंट बनेगा वोल्टेज को बनाने का काम बैटरी विद्युत जेनरेटर या फ़ोटो वोल्टिक सेल या जिसे सोलर सेल कहते है करते है वह फ़ोर्स जो इलेक्ट्रान को धक्का देता है उसे विद्युत वाहक बल यानी (ELECTRO MOTIVE FORCE ) E.M.F बोलते है जब किसी चालक में वोल्टेज बढ़ता है तब उसी अनुपात में करंट भी बढ़ता है और इन दोनों ज्ञात है तब पावर को भी ज्ञात किया जाता है किसी भी चालक यानी कण्डक्टर में फ्री इलेक्ट्रान की संख्या निश्चित होती है जिस चालक में जितने अधिक फ्री इलेक्ट्रान होते है उनमें उतना ही कम पावर की हानि होती है क्योंकि जब चालक में इलेक्ट्रान चलते है तब उनके मार्ग में कई परमाणुओ से टकराने के कारण उनकी गति कम हो जाती है इसी को रेसिस्टेंस कहा जाता है यानी प्रतिरोध चाँदी में सबसे कम प्रतिरोध होता है और आयरन यानी लोहे में अधिक इस कारण ज्यादातर विद्युत के तार (WIRE) को कॉपर यानी तांबे से बनाया जाता है क्योंकि सिल्वर के बाद तांबे का प्रतिरोध कम होता है करंट का फ्लो यानि करंट पॉजिटिव से नेगेटिव की तरफ बहता है और इलेक्ट्रान ठीक इसके उलटी तरफ जाते है किसी भी कंडक्टर में

वोल्टेज ( VOLTAGE)
वोल्टेज यानी पोटेंशियल एनर्जी इसे विभवांतर भी कहते है वोल्टा नामक एक वैज्ञानिक थे जिनके नाम पर इसका नाम रखा गया जब किसी चालक यानी किसी वायर के दोनों सिरों पर वोल्टेज दी जाती है तब इन दोनों सिरों के मध्य पोटेंशियल डिफरेन्स उत्पन्न हो जाता है और इन दोनों के मध्य एक इलेक्ट्रिक फील्ड बन जाती है जिसके कारण वायर में मौजूद फ्री इलेक्ट्रान उस फील्ड के विपरीत दिशा में चलना सुरु कर देते है और जब ये चलते है तब करंट बनती है इसको बनाने का काम बैटरी जनरेटर और सेल अथवा बैटरी का होता है इसे v से प्रदर्शित करते है घरों में 220 volt की सप्लाई दी जाती है इसके अलावा बैटरी में भी इसकी वोल्टेज लिखी होती है जैसे 12 v और 24 वोल्ट
जब किसी स्प्रिंग को दबाया जाता है तब उस स्प्रिंग में हाई पोटेंशियल एनर्जी जमा हो जाती है और जब उसे छोड़ जाता है तब स्प्रिंग हाई पोटेंशियल से लौ पोटेंशियल पर आ जाता है इसे इस प्रकार भी समझ सकते है यदि दो टंकी है और एक टंकी में कम पानी और दूसरे में अधिक है इस वक़्त यदि इन दोनों को पाइप से जोड़े तब जिस टंकी में अधिक पानी होगा वो कम पानी वाले टंकी में चला जायेगा इनमे आधे पानी वाले टंकी का पोटेंशियल कम और ज्यादा पानी वाले टंकी का पोटेंशियल अधिक था ज्यादा पोटेशियल वाले को धनात्मक और कम पोटेंशियल वाले को ऋणआत्मक पोटेंशियल होता है इस कारण करंट धनात्मक से ऋणआत्मक की ओर जाता है और इलेक्ट्रान ऋणआत्मक से धनात्मक की ओर जाता है
इसको (POTENTIOMETER ) पोटेंशमेटर वोल्टमीटर या आजकल छोटे कार्यो में मल्टीमीटर से नापते है कि किसी सर्किट में कितना वोल्टेज है वोल्टमीटर को सर्किट में हमेशा PARRELAL यानी समांतर क्रम में लगाते है वोल्टेज दो तरह का होता है एक ac और दूसरा AC ac करंट में वोल्टेज कम और ज्यादा होता है यानी हाई से low होता है 0 से 220 तक ऊपर नीचे होता रहता है ये एक सेकंड में कितनी बार हाई से लो होते है ये इनकी फ्रीक्वेंसी कहलाती है भारत मे घरों में आने वाले वोल्टेज की FRIQUENCY 50 htz हर्ट्ज होती है बेटरी या कोई भी DC वोल्टेज हर समय इसकी वोल्टेज नही बदलती है समान रहती है DC वोल्टेज को दूर तक भेज सकते है जबकि DC को ज्यादा दूर तक नही भेज सकते है
AAMETER AND VOLTMETER IN CIRCUIT

MULTIMETER

करंट (CURRENT)
करंट किसी भी चालक में उपस्थित फ्री इलेक्ट्रान के चलने से बनता है इन फ्री इलेक्ट्रान जब किसी इलेक्ट्रिक फील्ड में रहते है तब इनपर फ़ोर्स लगता है और ये इलेक्ट्रिक फील्ड के विपरीत दिशा में चलने लगते है लगते है ये इलेक्ट्रिक फील्ड को बनाने का काम वोल्टेज सोर्स करते है जैसे बैटरी जब किसी कंडक्टर यानी वायर के दोनों सिरों को किसी बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तब कंडक्टर में दोनों सिरों के बीच एक इलेक्ट्रिक फील्ड बन जाती है इसी को चार्ज कहते है और इसको कुलम से नापते है 1 में 1.6*10-19 इलेक्ट्रान होते है इसको i से प्रदर्शित करते हैं इसकी SI इकाई एम्पेयर होती है

AC करंट OCSILATE होता है यानी इलेक्ट्रान कभी एक दिशा में तो कभी दूसरी दिशा में बहता है यानी कभी एक दिशा में नही जाती जबकि इसके विपरीत DC करंट में इलेक्ट्रान केवल एक ही दिशा में चलते है इस कारण DC करंट ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसमें करंट कभी वापस उल्टी दिशा में नही जाता है यह AC और DC करंट का डायग्राम दिखाया गया है AC में करंट धीरे धीरे बढ़ता है और अपने हाई पॉइंट तक आकर वापस निचे आता है और नेगेटिव करंट बनता है DC में इसका करंट एक समान रहता है
AC CURRENT

DC CURRENT

पावर ( POWER )
पावर को वाट से नापा जाता है किसी भी सर्किट यानी परिपथ में यदि वोल्टेज करंट का मान पता है तब पावर को ज्ञात किया जा सकता है वाट वोल्टेज और करंट का गुणा होता है यानी जब वोल्टेज और करंट का गुणा किया जाता है तब हमें पावर मिल जाता है जैसे किसी उपकरण में यदि 10 वोल्ट और 2 एम्प की करंट है तो उसकी वाट 20 वाट होगी यदि किसी सर्किट में वाट और वोल्टेज दिया है और उसकी एम्प ज्ञात करनी है तब P=I*V का फॉर्मूला लगाना पड़ेगा जेम्स वाट नाम के एक वैज्ञानिक थे जिनके नाम से इसका नाम वाट पड़ा वाट शब्द का प्रयोग ज्यादातर मेकैनिकल इंजिनीरिंग में होता है
घरों में आने वाली विधुत में वोल्ट और करंट अलग अलग समय पे चलते है तब पावर का उपयोग सही से नही होता जितनी पावर कोई उपकरण वास्तव में उपयोग कर रहा होते है उसकी जरूरत उतनी उसको जरूरत नही होती इसे पावर फैक्टर कहते है सबसे अच्छा पावर फैक्टर 1 होना चाहिए

वोल्टेज और करंट को कम या ज्यादा करने का काम ट्रांसफॉर्मर के द्वारा किया जाता है लेकिन ट्रांसफॉर्मर उसके पावर को घटाता या बढ़ाता नही है क्योंकि जब ट्रांसफार्मर द्वारा किसी सप्लाई का वोल्टेज कम किया जाता है तब उसी करंट अपने आप बढ़ जाती है और जब वोल्टेज को बढ़ाया जाता है तब करंट कम हो जाता है लेकिन इससे उसके पावर पे कोई फर्क नही पड़ता है पावर को kvah kva kw से जानते है
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