AC CURRENT IN HINDI
AC CURRENT (ALTERNATING CURRENT)
AC करंट का पूरा नाम अल्टरनेटिंग करंट है हिंदी में इसे प्रत्यावर्ती धारा कहा जाता है अल्टरनेटिंग करंट के नाम से स्पष्ट है कि ये अल्टरनेट होता है यानी चेंज होता रहता है यानी करंट कभी कम और कभी अधिक high to low होता रहता है और करंट कभी एक दिशा में नही जाता इलेक्ट्रान अपनी जगह से एक बार आगे और एक बार पीछे जाते है लेकिन कभी बाहर नहीं जाते जब इलेक्ट्रान आगे जाता है तब करंट पॉजिटिव में होता है और जब इलेक्ट्रान पीछे जाता है तब करंट नेगेटिव में होता है ac करंट में करंट पहले धीरे धीरे बढ़ता है उसके बाद अपने पीक पॉइंट यानी जहा तक करंट हाई हो सकता है तक पहुंचता है और उसके बाद करंट कम होना सुरु होता है और शून्य पर पहुँचता ही फिर और करंट शून्य से नेगेटिव होने लगता है और नेगेटिव के पीक वोल्टेज पर पहुचकर फिर से नेगेटिव से पॉजिटिव पीक तक धीरे धीरे बढ़ता है करंट तभी चलता है जब उसको कोई रास्ता मिलता है और ये पॉजिटिव से नेगेटिव में जाकर खत्म होता है सर्किट तभी पूरा होता है AC करंट को तीन फेज में भेजा जाता है R Y B यानि रेड येलो ब्लैक
Ac करंट की फ्रीक्वेंसी होती है और इसमें सायकल भी होते है इंडिया में घरो में जो बिजली दी जाती है वह 50 हट्ज़ कि होती है और अमेरिका में 60 हट्ज़ कई फ्रीक्वेंसी होती है फ्रीक्वेंसी से मतलब है कि करंट एक सेकण्ड में 50 बार चेंज होती है यदि आप किसी टंगस्टन बल्ब

को देखेंगे तो ये BULB आधे सेकंड में चालू और आधे सेकंड में बंद होते है इसको हर्ट्ज में माप जाता है इस कारण आपने देखा होगा कि बल्ब बंद और चालू बहुत ही तेजी से होते है और आपको पता नही चलता यदि बल्ब को स्लो मोशन में रिकॉर्ड कर के देखेंगे तो ये बैंड और चालू होते है यदि फ्रीक्वेंसी को बढ़ा दिया जाए तो घरो में चलने वाले पंखे मोटर की स्पीड बढ़ जाएगी क्योंकि इनके मोटर फ्रीक्वेंसी पर काम करते है क्योंकि घरो में ज्यादातर उपकरण AC पर ही कार्य करते है vfd इसी का एक उदाहरण है जिसकी सहायता से फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जा सकता है
Ac का voltage अधिक होता है इसको दूर दूर तक भेजा जा सकता है ac करंट को जनरेटिंग स्टेशन में बनाया जाता है अल्टरनेटर का आविष्कार हिप्पोलाइट पिक्सी (HIPPOLYTE PIXXY) नामक साइंटिस्ट ने किया था लेकिन उन्होंने गलती से अल्टरनेटर का ही आविष्कार किया था उन्होंने डाइनेमो का आविष्कार किया था लेकिन उनको पता नही था कि इससे ac करंट कैसे बनाये निकोल टेस्ला और एक साइंटिस्ट जिनका नाम विलियम स्टेनले इन्होने मिलकर अल्टरनेटर का आविष्कार किया निकोल टेस्ला का योगदान इसमें सबसे अधिक था अल्टेरनेटिंग करंट को बनाने का काम निकोला टेस्ला ने 1890 में किया था इन्होने डाइनेमो के कॉम्युनिटेटर में बदलाव करके कॉम्युनिटेटर के जगह स्लिप रिंग का प्रयोग किया जिससे अल्टेरनेटिंग करंट बनती है अमेरिका के घरो में अब तक dc करंट भेजा जाता था लेकिन निकोला टेस्ला जो एक महान साइंटिस्ट थे ने अल्टेरनेटिंग करंट को लोगो के हर एक घरो तक पंहुचा दिया था क्योंकि ac करंट को दूर दूर तक भेजा जा सकता था DC करेंट का वेव इस प्रकार बनता है डाइनेमो में करेंट कभी नेगेटिव में नहीं जाता

अल्टरनेटर यानि AC जनरेटर का वेव कुछ इस प्रकार बनता है

AC करंट को तीन फेज में भेजा जाता है R Y B ये तीनो फेज जेनरेटिंग स्टेशन में लगे जनरेटर में लगे रोटर की वाइंडिंग से बनते है क्योंकि रोटर में तीन वाइंडिंग होती है इसलिए आउटपुट में हमें तीन फेज प्राप्त होते है

एसी (AC) जनरेटर अल्टरनेटर कैसे काम करता है ये DC जनरेटर के जैसा ही होता है लेकिन इसमें कुछ बदलाव होता है ये फैराडे लॉ के सिद्धांत पर कार्य करता है जिसके अनुसार ( किसी बंद परिपथ में उत्पन विद्युत वाहक बल ELECTRO MOTIVE FORCE E.M.F उस परिपथ से होकर गुजरने वाली कुल चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होती है ) फ्लेमिंग के हैंड रूल के सिद्धांत पर कार्य करती है
पार्ट्स ऑफ़ एसी (AC) जनरेटर
1 ) PERMANENT MAGNET ( स्थिर चुम्बक )
2 ) COIL ( कुंडली )
3 ) SLIP RING (स्लिप रिंग )
4 ) CARBON BRUSH ( कार्बन ब्रश )


PERMANENT MAGNET:- इसका काम मैग्नेटिक फील्ड फील्ड बनाना है इसी फील्ड के अंदर कोएल (coil ) घूमता है

COIL:- इसे किसी कंडक्टर जैसे कॉपर के इंसुलेटेड तारो को एक एक ऊपर एक लपेटकर बनाया जाता है डायग्राम में एक सिंगल कंडक्टर को दिखाया गया है

SLIP RING:- इसे coil के दोनों सिरों के साथ जोड़ा जाता है

CARBON BRUSH:-इनको स्लिप रिंग के ऊपर फिसलकर चलते है इन ब्रश को स्प्रिंग से दबाया जाता है

जब किसी कोइल को किसी मैग्नेटिक फील्ड में घुमाया या हिलाया जायेगा तब कोइल में EMF INDUCED पैदा होगा यानि COIL में करंट बनेगी क्योंकि कॉइल के मौजूद चार्ज पार्टिकल उस फ़ोर्स का विरोध करेंगी और खुद उतनी ही ताकत की मैग्नेटिक फील्ड लाइन्स बनाएगी COIL के साथ जितनी MAGENTIC LINES सम्पर्क में होगी COIL में उतनी ही करंट बनेगी जब COIL को MAGENTIC FIELD में रखा जाता है तब COIL के अंदर मौजूद इलेक्ट्रान MAGENTIC FIELD LINES के विपरीत दिशा में चलना सुरु कर देते है जब इलेक्ट्रान किसी कंडक्टर में चलते है तब करंट पैदा होती है ये इलेक्ट्रान तभी चलेंगे जब MAGENTIC FIELD या यु कहे मैगनेटिक फ्लक्स में चेंज होता रहे या तो मैगनेट को COIL के पास से हिलना होगा या COIL को मैगनेटिक फील्ड में घुमाना होगा
मैगनेटिक फ्लक्स के चेंज होने से करंट बनता है ये करंट किस दिशा में चलेगी इसके लिए फ्लेमिंग के RIGHT HAND RULE राइट हैंड रूल की सहायता से पता किया जाता है

यहाँ MAGENTIC FIELD लाइन्स इंडेक्स फिंगर से दर्शायी गयी है और मिडिल फिंगर से करंट की दिशा बताई गयी है
AC करंट के प्रकार
1) PULSATING
2)VARIABLE
3)ALTERNATING
AC करंट का पूरा नाम अल्टरनेटिंग करंट है हिंदी में इसे प्रत्यावर्ती धारा कहा जाता है अल्टरनेटिंग करंट के नाम से स्पष्ट है कि ये अल्टरनेट होता है यानी चेंज होता रहता है यानी करंट कभी कम और कभी अधिक high to low होता रहता है और करंट कभी एक दिशा में नही जाता इलेक्ट्रान अपनी जगह से एक बार आगे और एक बार पीछे जाते है लेकिन कभी बाहर नहीं जाते जब इलेक्ट्रान आगे जाता है तब करंट पॉजिटिव में होता है और जब इलेक्ट्रान पीछे जाता है तब करंट नेगेटिव में होता है ac करंट में करंट पहले धीरे धीरे बढ़ता है उसके बाद अपने पीक पॉइंट यानी जहा तक करंट हाई हो सकता है तक पहुंचता है और उसके बाद करंट कम होना सुरु होता है और शून्य पर पहुँचता ही फिर और करंट शून्य से नेगेटिव होने लगता है और नेगेटिव के पीक वोल्टेज पर पहुचकर फिर से नेगेटिव से पॉजिटिव पीक तक धीरे धीरे बढ़ता है करंट तभी चलता है जब उसको कोई रास्ता मिलता है और ये पॉजिटिव से नेगेटिव में जाकर खत्म होता है सर्किट तभी पूरा होता है AC करंट को तीन फेज में भेजा जाता है R Y B यानि रेड येलो ब्लैक

Ac करंट की फ्रीक्वेंसी होती है और इसमें सायकल भी होते है इंडिया में घरो में जो बिजली दी जाती है वह 50 हट्ज़ कि होती है और अमेरिका में 60 हट्ज़ कई फ्रीक्वेंसी होती है फ्रीक्वेंसी से मतलब है कि करंट एक सेकण्ड में 50 बार चेंज होती है यदि आप किसी टंगस्टन बल्ब
को देखेंगे तो ये BULB आधे सेकंड में चालू और आधे सेकंड में बंद होते है इसको हर्ट्ज में माप जाता है इस कारण आपने देखा होगा कि बल्ब बंद और चालू बहुत ही तेजी से होते है और आपको पता नही चलता यदि बल्ब को स्लो मोशन में रिकॉर्ड कर के देखेंगे तो ये बैंड और चालू होते है यदि फ्रीक्वेंसी को बढ़ा दिया जाए तो घरो में चलने वाले पंखे मोटर की स्पीड बढ़ जाएगी क्योंकि इनके मोटर फ्रीक्वेंसी पर काम करते है क्योंकि घरो में ज्यादातर उपकरण AC पर ही कार्य करते है vfd इसी का एक उदाहरण है जिसकी सहायता से फ्रीक्वेंसी को बढ़ाया जा सकता है
Ac का voltage अधिक होता है इसको दूर दूर तक भेजा जा सकता है ac करंट को जनरेटिंग स्टेशन में बनाया जाता है अल्टरनेटर का आविष्कार हिप्पोलाइट पिक्सी (HIPPOLYTE PIXXY) नामक साइंटिस्ट ने किया था लेकिन उन्होंने गलती से अल्टरनेटर का ही आविष्कार किया था उन्होंने डाइनेमो का आविष्कार किया था लेकिन उनको पता नही था कि इससे ac करंट कैसे बनाये निकोल टेस्ला और एक साइंटिस्ट जिनका नाम विलियम स्टेनले इन्होने मिलकर अल्टरनेटर का आविष्कार किया निकोल टेस्ला का योगदान इसमें सबसे अधिक था अल्टेरनेटिंग करंट को बनाने का काम निकोला टेस्ला ने 1890 में किया था इन्होने डाइनेमो के कॉम्युनिटेटर में बदलाव करके कॉम्युनिटेटर के जगह स्लिप रिंग का प्रयोग किया जिससे अल्टेरनेटिंग करंट बनती है अमेरिका के घरो में अब तक dc करंट भेजा जाता था लेकिन निकोला टेस्ला जो एक महान साइंटिस्ट थे ने अल्टेरनेटिंग करंट को लोगो के हर एक घरो तक पंहुचा दिया था क्योंकि ac करंट को दूर दूर तक भेजा जा सकता था DC करेंट का वेव इस प्रकार बनता है डाइनेमो में करेंट कभी नेगेटिव में नहीं जाता

अल्टरनेटर यानि AC जनरेटर का वेव कुछ इस प्रकार बनता है

AC करंट को तीन फेज में भेजा जाता है R Y B ये तीनो फेज जेनरेटिंग स्टेशन में लगे जनरेटर में लगे रोटर की वाइंडिंग से बनते है क्योंकि रोटर में तीन वाइंडिंग होती है इसलिए आउटपुट में हमें तीन फेज प्राप्त होते है

एसी (AC) जनरेटर अल्टरनेटर कैसे काम करता है ये DC जनरेटर के जैसा ही होता है लेकिन इसमें कुछ बदलाव होता है ये फैराडे लॉ के सिद्धांत पर कार्य करता है जिसके अनुसार ( किसी बंद परिपथ में उत्पन विद्युत वाहक बल ELECTRO MOTIVE FORCE E.M.F उस परिपथ से होकर गुजरने वाली कुल चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होती है ) फ्लेमिंग के हैंड रूल के सिद्धांत पर कार्य करती है
पार्ट्स ऑफ़ एसी (AC) जनरेटर
1 ) PERMANENT MAGNET ( स्थिर चुम्बक )
2 ) COIL ( कुंडली )
3 ) SLIP RING (स्लिप रिंग )
4 ) CARBON BRUSH ( कार्बन ब्रश )


PERMANENT MAGNET:- इसका काम मैग्नेटिक फील्ड फील्ड बनाना है इसी फील्ड के अंदर कोएल (coil ) घूमता है

COIL:- इसे किसी कंडक्टर जैसे कॉपर के इंसुलेटेड तारो को एक एक ऊपर एक लपेटकर बनाया जाता है डायग्राम में एक सिंगल कंडक्टर को दिखाया गया है

SLIP RING:- इसे coil के दोनों सिरों के साथ जोड़ा जाता है

CARBON BRUSH:-इनको स्लिप रिंग के ऊपर फिसलकर चलते है इन ब्रश को स्प्रिंग से दबाया जाता है

जब किसी कोइल को किसी मैग्नेटिक फील्ड में घुमाया या हिलाया जायेगा तब कोइल में EMF INDUCED पैदा होगा यानि COIL में करंट बनेगी क्योंकि कॉइल के मौजूद चार्ज पार्टिकल उस फ़ोर्स का विरोध करेंगी और खुद उतनी ही ताकत की मैग्नेटिक फील्ड लाइन्स बनाएगी COIL के साथ जितनी MAGENTIC LINES सम्पर्क में होगी COIL में उतनी ही करंट बनेगी जब COIL को MAGENTIC FIELD में रखा जाता है तब COIL के अंदर मौजूद इलेक्ट्रान MAGENTIC FIELD LINES के विपरीत दिशा में चलना सुरु कर देते है जब इलेक्ट्रान किसी कंडक्टर में चलते है तब करंट पैदा होती है ये इलेक्ट्रान तभी चलेंगे जब MAGENTIC FIELD या यु कहे मैगनेटिक फ्लक्स में चेंज होता रहे या तो मैगनेट को COIL के पास से हिलना होगा या COIL को मैगनेटिक फील्ड में घुमाना होगा
मैगनेटिक फ्लक्स के चेंज होने से करंट बनता है ये करंट किस दिशा में चलेगी इसके लिए फ्लेमिंग के RIGHT HAND RULE राइट हैंड रूल की सहायता से पता किया जाता है

यहाँ MAGENTIC FIELD लाइन्स इंडेक्स फिंगर से दर्शायी गयी है और मिडिल फिंगर से करंट की दिशा बताई गयी है
AC करंट के प्रकार
1) PULSATING
2)VARIABLE
3)ALTERNATING
AC Current ka mining kya he.
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