थ्री फेज इंडक्शन मोटर
3 PHASE INDUCTION MOTOR
इंडक्शन मोटर मे तीन वायर निकले होते है इस कारण इसे थ्री फेज इंडक्शन मोटर कहते है इनका 80% उपयोग ओद्योगिक यानी इंडस्ट्री में होता है इंडस्ट्री में थ्री फेज कि पाावर सप्लाई होती है और हमारे घरों में सिंगल फेज की होती है ये फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक के सिद्धांत पर कार्य करता है
3 फेज इंडक्शन मोटर के अंदर 2 भाग होते है:-
1)stator (स्टेटर)
2)rotor (रोटर)
1) stator:- ये एलाय स्टील के बनाये जाते है ये स्लोटेड टुकड़ो से बना core (core) होता है इन स्लोटेड कोर को insulate कर के लैमिनेट कर के लगाया जाता है इस कोर में जितने ज्यादा पोल होंगे उतने ज्यादा मैग्नेटिक फ्लक्स जेनरेट होगा और उतनी अधिक स्पीड मिलेगी पोल में ही इंसुलेटेड कॉपर वायर की वाइंडिंग की जाती है
2) rotor:- ये भी एलाय स्टील के बने होते है ये दो तरह के होते है इनके अंदर भी वाइंडिंग की जाती है और इनके दोनों साइड के एन्ड पे एक रिंग लगी होती है जिसे सॉर्ट रिंग(sort ring) कहते है
इसमे वाइंडिंग इसलिए कि जाती है क्योंकि जब स्टेटर में मैग्नेटिक फील्ड बनता है तब इसका विरोध करने के लिए रोटर में अपना एक मैग्नेटिक फील्ड बनाता है जो उस मैग्नेटिक फील्ड का विरोध करता है मेग्नेटिक फील्ड को बनाने का काम eddy current करता है ये करंट रोटर के अंदर बनता है जब उसपर कोई मेग्नेटिक फील्ड होता है
1)squirrel
2)split
squirrel:-इनके पोल क्रॉस में होते है
split:-इनके core straight होते है
working:- इसमें तीन फेज होते है पहले फेज की वाइंडिंग 90डिग्री पे की जाती है और दूसरे फेज की वाइंडिंग उसके समांतर parrelal 120degree पे की जाती है और तीसरे फेज जी वाइंडिंग 2nd के parrelal120 में ही की जाती है
जब 1st phase ki winding मे पावर दी जाती है तो उसका एक पोल नार्थ और दूसरा पोल साउथ बन जाता है
फिर जब फेज चेंज होता है तब दूसरा पोप नार्थ और साउथ बन जाता और इसी प्रकार बारी बारी से हर एक पोल नार्थ और साउथ बनता जाता है ये फेज डिफरेन्स जितना जल्दी होगा उतनी ही स्पीड से मोटर की polarity चेंज होगी और उसी के अनुसार मोटर की स्पीड भी बढ़ेगी इसी को को सप्लाई की फ्रीक्वेंसी कहते है india में 50 हट्ज़ की फ्रीक्वेंसी दी जाती है
इंडक्शन मोटर मे तीन वायर निकले होते है इस कारण इसे थ्री फेज इंडक्शन मोटर कहते है इनका 80% उपयोग ओद्योगिक यानी इंडस्ट्री में होता है इंडस्ट्री में थ्री फेज कि पाावर सप्लाई होती है और हमारे घरों में सिंगल फेज की होती है ये फैराडे के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक के सिद्धांत पर कार्य करता है
3 फेज इंडक्शन मोटर के अंदर 2 भाग होते है:-
1)stator (स्टेटर)
2)rotor (रोटर)
1) stator:- ये एलाय स्टील के बनाये जाते है ये स्लोटेड टुकड़ो से बना core (core) होता है इन स्लोटेड कोर को insulate कर के लैमिनेट कर के लगाया जाता है इस कोर में जितने ज्यादा पोल होंगे उतने ज्यादा मैग्नेटिक फ्लक्स जेनरेट होगा और उतनी अधिक स्पीड मिलेगी पोल में ही इंसुलेटेड कॉपर वायर की वाइंडिंग की जाती है
2) rotor:- ये भी एलाय स्टील के बने होते है ये दो तरह के होते है इनके अंदर भी वाइंडिंग की जाती है और इनके दोनों साइड के एन्ड पे एक रिंग लगी होती है जिसे सॉर्ट रिंग(sort ring) कहते है
1)squirrel
2)split
squirrel:-इनके पोल क्रॉस में होते है
split:-इनके core straight होते है
working:- इसमें तीन फेज होते है पहले फेज की वाइंडिंग 90डिग्री पे की जाती है और दूसरे फेज की वाइंडिंग उसके समांतर parrelal 120degree पे की जाती है और तीसरे फेज जी वाइंडिंग 2nd के parrelal120 में ही की जाती है
जब 1st phase ki winding मे पावर दी जाती है तो उसका एक पोल नार्थ और दूसरा पोल साउथ बन जाता है
फिर जब फेज चेंज होता है तब दूसरा पोप नार्थ और साउथ बन जाता और इसी प्रकार बारी बारी से हर एक पोल नार्थ और साउथ बनता जाता है ये फेज डिफरेन्स जितना जल्दी होगा उतनी ही स्पीड से मोटर की polarity चेंज होगी और उसी के अनुसार मोटर की स्पीड भी बढ़ेगी इसी को को सप्लाई की फ्रीक्वेंसी कहते है india में 50 हट्ज़ की फ्रीक्वेंसी दी जाती है
अब वह 3 फेज वाली मोटर की वाइंडिंग किसी कारण वश जल चुकी है, पर अब इसकी वाइंडिंग सिंगल फेज में किया जा सकता है ??
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