OHM'S LAW IN HINDI
OHM'S LAW
ओम का नियम को जॉर्ज साइमन ने 1862 में प्रतिपादित किया था जिसमे उन्होंने चालक के सिरों पर लगा विभान्तर यानि वोल्टेज और चालक के के अंदर से जाने वाली धारा यानि करंट के मध्य सम्बन्ध को बताया था के अनुसार जब किसी चालक यानि जिस वस्तु या किसी धातु जिसमे से करंट जा सकता है उसकी भौतिक संरचना यानि उस चालक के अंदर मौजूद परमाणुओं की संरंचना और उस चालक का एक स्थिर निश्चित तापमान हो यानि उसकी भौतिक संरचना और तापमान स्थिरांक हो तब उस चालक के सिरों में मध्य जो विभवान्तर और प्रवाहित धारा अनुपात स्थिरांक होता है यानि उस चालक के सिरों पर लगा वोल्टेज और उस चालक में से गुजरने वाला करंट यानि धारा का अनुपात सामान होता है
विभान्तर को (v) से दर्शाया जाता है विभान्तर को वोल्टेज भी कहा जाता है इस वोल्टेज का स्रोत बैटरी और जनरेटर सोलर सेल हो सकता है बैटरी में एक फ़ोर्स उत्पन होता है जिसे EMF यानि इलेक्ट्रो मोटिव फ़ोर्स कहते है जिसके कारण बैटरी के अंदर मौजूद इलेक्ट्रान को धक्का मिलता है
करंट को धारा भी कहा जाता है इसे ( i ) से दर्शाया जाता है इसे एम्पेयर से मापा जाता है ANDRE MARIE AMPERE नाम के एक भौतिकशास्त्री थे जिनके नाम से इसको एम्पेयर नाम दिया गया
यदि चालक के सिरों के मध्य विभान्तर v हो और चालक से प्रवाहित होने वाली धारा i हो तब ओम के नियमानुसार
v/i = स्थिरांक
अथवा v / i = R (यहां R चालक का प्रतिरोध होता है इसे अनुपातिक स्थिरांक भी कहा जाता है)
प्रतिरोध किसी भी चालक में उपस्थित होता है प्रतिरोध के ज्यादा होने से पावर की हानि होती है यानि ये करंट के प्रवाह में बाधा डालती है या उसे रोकने का प्रयास करती है जिन धातुओ के अंदर उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रान (FREE ELECTRON) कि संख्या जितनी अधिक होगी उसकी रेजिस्टेंस उतनी ही कम होगी फ्री इलेक्ट्रान किसी भी धातु के अंदर उपस्थित परमाणुओं के बाह्य कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रान का अपनी कक्षा को छोड़कर चले जाते है और इधर उधर घूमते रहते है इन्हे ही फ्री इलेक्ट्रान कहते है सिल्वर यानि चाँदी के धातु का प्रतिरोध सबसे कम होता है यानि अंदर सबसे कम प्रतिरोध होता है या कहे तो सबसे अधिक फ्री इलेक्ट्रान होते है अगर चाँदी के धातु से तारो को बनाया जाये तो उनमे पावर की हानि कम होगी इसी प्रकार IRON यानि लोहे का प्रतिरोध अधिक होता है इस कारण इसके तारो का उपयोग नहीं किया जाता ज्यादातर तारो यानि चालक का निर्माण COPPER यानि तांबा और एल्युमीनियम से बनाया जाता है क्योंकि सिल्वर के बाद सबसे कम प्रतिरोध तांबा का होता है इसका SI मात्रक ओम है इसका प्रतिक चिन्ह Ω है
किसी भी सर्किट में यदि किन्ही दो मनको का मान पता हो तो तीसरे का मान इस ओम के नियम से निकला जा सकता है जैसे यदि वोल्टेज और करंट ज्ञात हो तो रेसिस्टेन्स का मान पता किया जा सकता है और यदि वोल्टेज रेजिस्टेंस पता हो तो करंट का मान पता किया सकता है इसी प्रकार यदि करंट और रेसिस्टेन्स का मान पता है तब वोल्टेज का पता लगाया जा सकता है

इस सूत्र में यदि वोल्टेज पता करना है तब V = iR
करंट के लिए यानि i = V/R
प्रतिरोध ज्ञात करना है तब R= V/i
उदाहरण के लिए यदि किसी परिपथ में 10 वोल्ट की बैटरी लगी है और बल्ब को 3 वोल्ट चाहिए तो हमे दोनो के बीच 7 वोल्ट को कम करना होगा और बल्ब 1 एम्पीयार का करंट चाहिए तब उस परिपथ में कितने ओम का प्रतिरोध लगाना पड़ेगा
तब यह R= V/i का नियम लागु होता है
R = 7/1
R = 7 Ω
यानि इसमें 7 Ω ओम का रेजिस्टेंस इस सर्किट मद लगाना पड़ेगा
इसी प्रकार हम करंट और वोल्टेज का पता किसी भी सर्किट यानि परिपथ में लगा सकते है
यदि किसी सर्किट में करंट मिली एम्प में हो तब उस मिली एम्प को एम्प में बदलना होता है जैसे यदि किसी सर्किट में 100 मिली एम्प है तो उसे 0.1 एम्प लिखेंगे
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