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Showing posts from October, 2018

PHOTODIODE IN HINDI

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PHOTODIODE इसका प्रयोग प्रकाश की ऊर्जा का इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलना होता है ये एक छोटे सोलर सेल की तरह होता है छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इसका प्रयोग ट्रांजिस्टर के गेट को ट्रिगर करने में किया जाता है और इसका प्रयोग फ़ोटो डिटेक्टर सेंसर के तौर पर भी किया जाता है ये ldr के ठीक विपरीत होता है ये अर्धचालक से बने होते है जैसे सिलिकॉन और जेर्मेनियम इससे बहुत कम मात्रा में करंट बनता है जब प्रकाश इसके depliciation रीजन में प्रकाश के photons इसमे पड़ते है तब depliciation रीजन में मौजूद एटम्स में से इलेक्ट्रॉन्स को एनर्जी मिल जाती है जिसके कारण एटम से जुड़े इलेक्ट्रान इसमे से अलग हो जाते है इन इलेक्ट्रान हो होल्स अपनी तरफ खींच लेते है इस प्रकार करंट फ्लो होने लगता है इसका प्रयोग इंडस्ट्री में किया जाता है समान को काउंट करने के लिए 

OPTOCOUPLER IN HINDI

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OPTOCOUPLER ऑप्टोकपलर एक led डायोड और ट्रांजिस्टर का मिला जुला रूप है ये एक ic होती है इसका प्रयोग हाई करंट स्विचिंग के लिए किया जाता है इसमे कुल चार पिन होती है जिसमे 2 पिन ट्रांजिस्टर के होते है और दो पिन डायोड के होते है WORKING ट्रांज़िस्टर को सर्किट से कनेक्ट कर दिया जाता है और इस ट्रांसिस्टर के गेट को ऑन करने का काम इसके अंदर लगे डायोड के द्वारा होता है जब डायोड जलती है तब उसके प्रकाश से ट्रांज़िस्टर के गेट को ऑन कर देती है गेट कुछ कुछ ldr की तरह का होता है 

CORONA EFFECT IN HINDI

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CORONA EFFECT कोरोना इफ़ेक्ट एक ऐसा इफ़ेक्ट है जिसमे किसी इलेक्ट्रिकल कंडुक्टर में बहने वाले हाई करंट के कारण उस conductor के चारों तरफ मौजूद एयर का ionization यानी आयनीकरण हो जाता है जिससे एक चमकीली बैंगनी voilet कलर की रोशनी निकलती है इसके साथ ही हिसिंग की आवाज आती है हाई टेंशन टावर में लगने वाले हाई वोल्टेज conductor wires में ये इफ़ेक्ट पैदा होता है हम जानते है कि जब किसी conductor में voltage दी जाती है तब उस कंडुक्टर के चारो तरफ भी एक पोटेंशियल यानी वोल्टेज बन जाता है कंडुक्टर के सबसे नजदीक सबसे अधिक और उससे थोड़ी दूर पर वोल्टेज सबसे कम होता है इसे ही पोटेंशियल gradient कहते है इसके कारण एयर यानी ऑक्सीजन के एटम O2 बदलकर O3 हो जाता है किसी भी मटेरिअल या मीडियम का कंडक्टर में बदल जाना किसी वोल्टेज सोर्स के कारण होता है ये उसका breakedown वोल्टेज कहलाता है यानी जिस पॉइंट पर किसी मीडियम जैसे एयर का जिस पॉइंट के बाद जैसे एयर कंडक्टर में बदल जाता है ये उसका breakdown कहलाता है 30kv per सेंटीमीटर एयर का डाईलेक्ट्रिक srength होता है यानी 30kv के बाद एयर का ionization हो जाता है इस ब...

SEMICONDUCTOR DOPING IN HINDI

DOPING डोपिंग एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा किसी सेमीकंडक्टर मेटल जैसे सिलिकॉन जेर्मेनियम जैसे तत्व में कुछ ऐसे असुद्धधीयो (impurities) मिला देना जिससे उसके संरचनात्मक गुणो में परिवर्तन आ जाता है इसे ही डोपिंग कहते है doping से किसी भी सेमीकंडक्टर में चार्ज पार्टिकल की संख्या को बढ़ाया जा सकता है डोपिंग का एक और अर्थ है कभी कभी खिलाड़ियों के द्वारा कुछ ऐसी दवाओं का प्रयोग करते है जिससे उनकी छमता बढ़ जाती है ठीक इसी प्रकार सेमीकंडक्टर मटेरियल में कुछ ऐसी तत्वों को मिला दिया जाता है जिससे उनके गुणों में परिवर्तन आ जाता है तो उसे डोपिंग कहते हैं Impurities को मिलाने की अलग अलग विधि हो सकती है जैसे मेटल्स को पिघलाकर में इम्प्यूरिटीस मिला दी जाती है इसको मिलाने के लिए कितनी ग्राम या कितनी मात्रा में इन इम्प्यूरिटीस को डालना है इसके लिए Avogadro संख्या का प्रयोग किया जाता है डोपिंग करते वक़्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो इम्प्यूरिटीस इसमे मिला रहे है उसकी मात्रा कितनी होगी तभी डोपिंग की प्रक्रिया सही से हो पाएगी डोपिंग से हमे दो तरह के मटेरियल प्राप्त होते है एक फ्री इलेक्ट्रान और ...

SCR IN HINDI

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SCR (SILICON CONTROL RECTIFIER) इसका पूरा नाम सिलिकॉन कंट्रोल रेक्टिफायर है इसमे तीन टर्मिनस होते है एनोड कैथोड और गेट (ANODE,CATHODE AND GATE) इसका प्रयोग इंडस्ट्रीज में किया जाता है scr हाई करंट और वोल्टेज पर काम करता है इस कारण इसका प्रयोग इंडस्ट्रीज में किया जाता है यह लगभग 30 से 100 एम्पेयर करंट पर काम कर सकता है और लगभग2 2kv तक के वोल्टेज को संभाल सकता है ये चार लेयर layer से मिलकर बना होता है PNPN इस प्रकार इसमे 3 जंक्शन होते है यानी ये तीन डायोड से मिलकर बना होता है इसमे एनोड में सप्लाई दी जाती है और कैथोड से सप्लाई को प्राप्त किया जाता है और इसको ट्रिगर करने का काम गेट की सहायता से किया जाता है गेट को लो वोल्टेज की clock पल्स देने पर सप्लाई एनोड से कैथोड में चली जाती है एक बार ट्रिगर हो जाने के बाद गेट से इसे कंट्रोल नही किया जा सकता है यानी गेट से इसे बंद या चालू नही किया जा सकता इसे बंद करने के लिए या तो आने वाली सप्लाई को बंद कर दे या उस इनपुट सप्लाई को ग्राउंड कर दे या इनपुट सप्लाई से समान polarity को अप्लाई किया जाए इसका प्रयोग ac और dc दोनो तरह की मोटरों की स्पी...

PELTIER MODULE IN HINDI

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PELTIER MODULE इसमे दो सतह होती है जिसमे और इसमें से दो वायर निकलते है एक लाल और एक काले कलर की जब इन वायर में किसी बैटरी या किसी dc पावर सप्लाई से करंट दी जाती है तब इसकी एक सतह गर्म और एक सतह ठण्डी हो जाती है इसका प्रयोग भविष्य में अनेक नए उपकरण के निर्माण में किया जा रहा है आजकल इसी तरह की मॉड्यूल का प्रयोग करके कम पावर पर चलने वाले फ्रीज एवं एयर कंडीशनर का निर्माण किया गया है  कार्यविधि (WORKING) हमने अपने स्कूल की किताबो में सिबेक प्रभाव के बारे में पढ़ा होगा जिसमें दो अलग अलग धातुओं के वायर को आपस मे जोड़ दिया जाता है और इनके जोड़े में वोल्टमीटर लगाते है जब इनमे से एक वायर को गर्म और एक वायर को ठंडा किया जाता है तब करंट बनता है जो वोल्टमीटर में दिखाई देती है पीरियॉडिक टेबल में इन मेटल की दूरी जितनी अधिक होगी उतना ही अधिक करंट इसमे बनेगा Peltier भी इसी सिद्धांत पर कार्य करता है इसमें दो तरह के  p और n टाइप सेमीकंडक्टर मटेरियल का प्रयोग किया जाता है इन p टाइप और n टाइप सेमीकंडक्टर में डोपिंग की जाती है p में होल्स की संख्या अधिक और फ्री इले...

IGBT IN HINDI

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IGBT (INSULATED GATE BIPOLAR JUNCTION TRANSISTOR) इसका पूरा नाम इंसुलेटेड गेट बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर है ये ट्रांज़िस्टर और मॉस्फेट का मिला जुला रूप है इसमें तीन टर्मिनल होते है एमिटर (EMMITER), गेट (GATE) , कलेक्टर (COLLECTOR) इसका symbol इस तरह का होता है इसमे से एमिटर और कलेक्टर ट्रांज़िस्टर के नाम से है और गेट मॉस्फेट से लिया गया है इसकी खासियत होती है कि यह 1kv वोल्टेज पर भी काम करता है और 500 से 100 amps करंट को झेल सकता है लेकिन इसकी स्विचिंग स्पीड मध्यम होती है translator की स्विचिंग स्पीड कम होती है मॉस्फेट की स्विचिंग स्पीड सबसे अधिक होती है igbt वोल्टेज को कंट्रोल करता है जबकि ट्रांज़िस्टर करंट को और मॉस्फेट वोल्टेज को कंट्रोल करता है इसका प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ हैवी लोड वाले उपकरण लगे होते है जैसे genrator , lift , smps ,vfd , traction motor control और घरो में उपयोग हिने वाले इंडक्शन कुकर में इसका प्रयोग किया जाता है ये ट्रांज़िस्टर और मॉस्फेट से महँगा होता है गेट पर जैसे जैसे करंट बढ़ाया जाता है वैसे ही आउटपुट वोल्टेज बढ़ता जाता है लेकिन ये एक ...

THERMISTOR IN HINDI

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THERMISTOR ये एक तरह का रेसिस्टर होता है जो तापमान पर निर्भर करता है कि इसका रेजिस्टेंस कितना होगा thermistor का तापमान बढ़ने या घटने से इसका रेजिस्टेंस घटता या बढ़ता है इसे हमेसा सीरीज यानी श्रेणीक्रम में लगाया जाता है इसका प्रयोग tv एयर कंडीशनर फ्रीजर आदि अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में किया जाता है इसका सिंबल कुछ इस प्रकार का होता है ये दो तरह के होते है (TYPES OF THERMISTOR) 1)PTC THERMISTOR 2)NTC THERMISTOR PTC THERMISTOR (POSITIVE TEMPERATURE COEFFICIENT) Ptc थेरमिस्टर का तापमान बढ़ने से इसका रेजिस्टेंस घटता है इसका प्रयोग ज्यादातर नही किया जाता है इन सेंसर के द्वारा -55 से 200 डिग्री सेल्शियस तापमान वाले सर्किट में किया जाता है इसका ग्राफ कुछ इस प्रकार का होता है NTC THERMISTOR (NEGETIVE TEMPRETUTEM COEFFICIENT) Ntc थेरमिस्टर का तापमान बढ़ने से इसका रेजिस्टेंस बढ़ता है डिजिटल थर्मामीटर में इसका उपयोग किया जाता है इनको मेटल के ऑक्साइड से बनाया जाता है इसका ग्राफ कुछ इस प्रकार का होता है

ESC CONTROLLER IN HINDI

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ELECTRONIC SPEED CONTROLLER Bldc मोटर को चलाने के लिए इस तरह के कन्ट्रोलर की आवश्यकता होती है bldc मोटर का प्रयोग ड्रोन बनाने में किया जाता है bldc मोटर थ्री फेज सप्लाई से चलती है इसके लिए esc कन्ट्रोलर का प्रयोग किया जाता है Esc के अंदर pwm कंट्रोलर सर्किट होता है जिसका काम अलग अलग पल्स को बनाकर bldc मोटर को भेजना होता है pwm सर्किट से इसकी स्पीड को कंट्रोल किया जाता है इसे इन्वर्टर सर्किट भी कह सकते है ये बैटरी से सिंग्लर फेज की सप्लाई को लेकर उसे मॉस्फेट के द्वारा ट्रिगर करके थ्री फेज की सप्लाई बनाकर bldc मोटर को भेजता है pwm सर्किट dc करंट को ट्रिगर करके ac करंट बना देता है इन मॉस्फेट को ट्रिगर करने का काम audriuno microcontroller से किया जाता है की कब किस मॉस्फेट को ट्रिगर करना है Esc में तीन pin होती है और bldc मोटर में जो तीन पिन होती है इन पिनो से इनको आपस मे जोड़ दिया जाता है और esc में बाकी बचे तीन पिन में से दो पिन लिपो बैटरी यानी लिथियम पॉलीमर बैटरी से कनेक्ट कर दिया जाता है  और बचा एक पिन जो सीधे microcontroller के पास चला जाता है इस...

MOBILE NETWORK SECTION IN HINDI

NETWORK SECTION IC 1)ANTENNA IC :- इसका काम सिग्नल को पकड़ना होता है जितने भी तरह के सिग्नल एयर में होते हैबद में इसमे से अपने काम के सिग्नल को फ़िल्टर कर लिया जाता है 2)ANTENNA SWITCH:- ये सिम में चलने वाली फ्रीक्वेंसी को फ़िल्टर करती है ये pcb में नेटवर्क सेक्शन में pfo के पास लगा होता है ये वाइट कलर में होता है यदि एंटीना स्विच ख़राब हो जाये तो सिम कार्ड काम नही करेगा 3)PFO(POWER FREQUENCY OSCILLATOR):- एंटीना स्विच के सिग्नल को बढ़ाता है या बूस्ट करता है बैटरी से पावर लेकर यदि pfo खराब हो जाएगा तो आपके मोबाइल में 1 या 2 कॉल के बाद बैटरी पूरी खत्म हो जाएगी because क्योंकि ic सॉर्ट हो चुका है इसे इस लेटर से पहचाना जाता है "pf"or"po" 4)HAGGER IC(RF IC,NETWORK IC):- यह सिग्नल को परिवर्तित करता है और सिग्नल को modulate करता है और सिग्नल को आगे ऑडियो ic में भेज देता है ये carried frequency को intermediate frequency में बदलता है  इसका denoting letter "hagger" होता है यदि मोबाइल फ़ोन में नेटवर्क नॉट फाउंड आ रहा है या or नेटवर्क लगातार सर्च हो रहा है...

MOBILE IC TYPES IN HINDI

POWER SECTION इसमें टोटल  8 ic लगी होती है 1)power ic:- पुरे board में पावर सप्लाई काम करते हैं 2)CPU:- पावर ic से कनेक्ट होता है और किसे कब और कितनी पावर देनी है decide करता है 3)RTC CRYSTAL:-32.768KHZ time और data के लिए ये पतली सी ic होती है जो brown or black color मे होती है और इसके just बाजु मे power ic लगी होती है 4) CHARGING IC:-  power और CPU ic charging ic से कनेक्टेड होती है चार्जर connector पिन में जब मोबाइल मे charger लगा होरा है तब power ic battery से power ना लेकर charging ic से power लेता है 5)RAM+FLASH(ROM,EPROM)+AUDIO IC directly connected to CPU 1)ram:-run software 2)flash ic:-store software 3)audio ic:-control mic and speaker 6)MULTIMODE IC(logic ic):-conrol ringer+vibrator+led NEXT GENRATION IC 1)POWER IC+CHARGING IC+AUDIO IC+MULTIMODE IC = UEM IC (universal energy module) 2)CPU:-UPP(UNIVERSAL PHONE PROSSESOR) 3)RAM+FLASH IC=RAM IC

MOTHERBOARD COMPONENTS CODE LETTER

MOTHERBOARD COMPONENTS IDENTIFICATION WITH LETTERS 1)RESISTORS:-R,RN,PR,RP,MR 2)CAPACITOR:-C,PC,TC,BC,EC,EP,MC 3)TRANSISTOR:Q,PQ(SMALL SIZE) 4)MOSFET:-Q,PQ(BIG SIZE) 5)DIODE:-D,PD,PZD 6)Crystal:-X,Y 7)TRANSFORMER:-TFR,T 8)SWITCH:-SW 9)COIL:-L,PL,FB 10)IC:-U,PU 11)FUSE:-F.PS,PF 12)BATTERY:-BATT,BT 13)JUMPER/CONNECTOR:-J,CN,JP,PJ

CHECK MOBILE SORTING IN HINDI

CHECK SHORING मल्टीमीटर से बैटरी कनेक्टर के पॉजिटिव और नेगेटिव टर्मिनल में मल्टीमीटर के दोनों प्रोब को रखने पर 200-600ohm reading एक side से आनी चाहिए और दूसरे साइड से कोई रीडिंग नही आनी चाहिए HALF SHORTING:- दोनो तरफ से रीडिंग आ रही है तो हाफ सॉर्ट है reading+beep की आवाज भी आ रही है इसका मतलब पूरा शॉर्टिंग है solution:- इसके लिए कैपेसिटर को चेक करना चाहिए कैपेसिटर के एक साइड में मल्टीमीटर में बीप की साउंड आएगी और एक साइड से कुछ रीडिंग दिखाई देगी यदि ऐसा है तब कैपेसिटर ठीक है यदि दोनों साइड बीप आ रहा है तब ककिकैपेसिटर खराब है  SMD TRANSFORMER Pcb मे ये white colour मे दिखाई देता है network section or Bluetooth section मे ज्यादातर लगा होता है network section मे ये signal को बढ़ने का काम करता है CHECK RINGER OR SPEAKER ringer:- multimeter से चेक करने पर beep साउंड आनी चाहिए और 8 to 10 ohm की reading आनी चाहिए अगर reading बढ़ रही है तो आवाज़ कम आएगी अगर 8 से कम हो रही है तो आवाज़ फटने लगेगी SPEAKER INTERFACE CHECKING:- रेड prob को ground से connect करेंगे और black p...

RTC CRYSTAL IN HINDI

RTC CRYSTAL इसका पूरा नाम रियल टाइम क्लॉक (REAL TIME CLOCK) इसका काम पल्स को genrate करना होता है इसे cro मशीन से ही चेक किया जाता है है ये क्रिस्टल Computer,mobile मे data and time update करता है जब कंप्यूटर को बंद रखा जाता है और आप कयने दिनों बाद भी कंप्यूटर को ऑन करेंगे तब भी कंप्यूटर में टाइम और डेट बिल्कुल सही होगी क्योंकि इसमें रक बैटरी लगी होती है ये computer motherboard में South bridge से connect होता है और South bridge में 3.3v कि battery लगाई जाती है जो South bridge के जरिये crystal को power supply करता है crystal के ख़राब होने पर data and time सही नही आते system speed slow,file not save,internet site can't open,internet not working properly जैसी समस्या आती है आमतौर पर कंप्यूटर motherboard में 32.768khz का crystal use किया जाता है

IC TESTING IN HINDI

                           IC TESTING 1)SORTING TESTING:-50%पिन या उससे अधिक pin आपस मे multimeter से चेक करने पर beep करे तो ic शार्ट है 2)LEAKAGE TESTING:-जल जाये फूल जाये टूट जाये तो ic leakkege होती है 3)HEATING TESTING:-IC पर अंगूठा यानी THUMB रखने के 10 sec तक रख सके और आपके thumb पर गर्मी बर्दाश्त हो जाये तो ic सही है 4)Input output testing:-ic पे मिलने वाली voltage और out होने वाली voltage सही है तो इसी सही है

MOTHERBOARD IC DETAILS IN HINDI

computer motherboard ic identification computer मे मुख्य रूप से 10 types के ic होते है 1) i/o chip:-ये 128 पिन की ic होती है इसका काम computer को on और offf करना होता है 99% boards मे इनकी company का नाम ite or winbond इसके अलावा smsc,fintek company के हो सकते है ये ज़्यादातर ram slot के बगल मे या pci slot के बगल मे होता है ये 4 side वाली ic होती है 2)bios rom ic:- इसका काम कंप्यूटर ऑन होते ही ये चेक करना होता है की computer मे कौन कौन से device लगा हुए  है ये आज कल के motherboard मे 8 pin ic होती है पहले के बोर्ड मे 40 पिन तक की पिन होते थे इनकी company name winbond,sst,ponix,aword,ami होते है जिससे इन्हें पहचाना जा सकता है दूसरा तरीका पूरे board मे जो भी 8 pin ic होगी उससे ये अलग होगा क्योंकि इसकी पिन थोड़ी मोटी होती है और ये थोड़ा उठा हुआ होता है इसमें problem आने पर hanging और नो display और restarting की समस्या हो सकती है 3)clock generator ic:-इसका काम cpu को clock पल्स provide करना होता है इसका ख़राब होने पर नो डिस्प्ले की प्रॉब्लम होती है ये ज्यादातर ICS,Realtek, winbon...

SMPS REPAIRING IN HINDI

12v 4)black-            ground 5)green-            5v ps (power supply) 6)grey-              5v pg (power good) 5)purple-          5v sb (stand by) 6)blue -             -12v 7)white-            -5v Smps से जो वायर बाहर निकली होती है उनमें इतना करंट होता है यदि इनके voltage मे यदि 1v कम या ज्यादा हो तो smps ख़राब है तो smps को खोल के चेक करेंगे सबसे पहले 1) fuse और ntc resistor thermistor को check करेंगे इसके लिए multimeter ko continuity point पर रख कर दोनों साइड से thermistor और फ्यूज चेक करेंगे 2)bridge rectifier जो की 4 डायोड से मिल के बना होता है इसे check करेंगे इसे भी continuty पॉइंट में रख कर चेक करेंगे इसमें एक साइड से reading ...

8051 MICROCONTROLLER IN HINDI

microcontroller(embeded system) माइक्रोकंट्रोलर किसी एक प्रमुख काम को करे है जैसे  atm automatic ticket counter इत्यादि components of embeded system 1)analog components     ldr,lm35 and etc(sensors) 2)digital components     processor, controllers         buses,memories,application specific intrigated,circuit 3)convertors    digital to analog     analog to digital 4)software     application programmers      exception hardwere embeded designing 1)core hardwere 2)firmware tools 3)programming tools 4)hardwere tools 1)core hardwere:- 8051 microcontroller pic:-(peripheral interface control microcontroller= AVR microcontroller arm (advanced risk machine) FPGA(field programeble gate array) cpld(complex programable logic device 2)firmware tools   1: 8051-kiel compiler and assembler   2:pic-source boot,micro c ...

मॉस्फेट क्या है

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MOSFET MOSFET basically switching  का काम करता है mosfet का पूरा नाम METEL OXIDE SEMICONDUCTOR FIELD EFFECT TRANSISTOR होता है semiconductor से बनाया जाता है इसमे भी ट्रांज़िस्टर की तरह तीन रीजन होते हैं लेकिन इसमें गेट में एक एक्स्ट्रा लेयर मेटल ऑक्साइड की होती है इसमे तीन legs होते है मॉस्फेट वोल्टेज पर कार्य करता है जबकि ट्रांज़िस्टर करंट पर मॉस्फेट की switching स्पीड सबसे अधिक होती है इसका प्रयोग पावर सप्लाई सर्किट में किया जाता है इन्वर्टर में भी इसका प्रयोग किया जाता है इसके अलावा pwm (pulse width modulator)  में भी किया जाता है इसमें तीन टर्मिनल होते है 1)source 2)drain 3)gate ये दो तरह के होते है:-  1)n channel MOSFET (नेगेटिव चैनल मॉस्फेट) इस मॉस्फेट का प्रयोग ज्यादातर किया जाता है सर्किट में इसके गेट में जब पॉजिटिव सप्लाई दी जाती है तब सोर्स पर रुक हुआ करंट आगे ड्रेन से बाहर निकल जाता है इसका सिंबल इस तरह का होता है 2)p channel MOSFET (पॉजिटिव चैनल मॉस्फेट) इसका प्रयोग ज्यादा नही किया जाता क्योंकि इसके गेट पर नेगेटिव वोल्टेज देनी पड़त...

इंडक्टर के प्रकार

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INDUCTOR इसे generally coil भी कहा जाता है जब इसमें current गुजरता ह तब इसमें electromagnetic field पैदा हो जाता है इसे ferrite coreके ऊपर इंसुलेटेड वायर को round करके बनाया जाता है इसे ही फेराइट कोर कहा जाता है TYPES:- 1)FIXED:-इसकी value generally fix होती है ये       दिखने में resistor की तरह होता है 2)Ferromagnetic core inductor(iron core inductor):-इसमें ferrite कोर का use करते है जिसके कारण इसमें ये बहुत ज्यादा electromagnetic field generate होता है इसका प्रयोग high frequency tuning के लिए किया जाता है 3)AIR CORE INDUCTOR:-इसके बिच में कुछ नही होता है इसमें सिग्नल loss बहुत कम होता है इस कारन इसका यूस रेडियो tuning मे किया जाता है 4)TOROIDAL CORE INDUCTOR:-ये magnetic fluxअच्छी तरह generate होता है basically इसमें तीन core होते है इसका यूस generally ac circuitमे होता है generally inductor का प्रयोग ac circuit में नही होता है इसका प्रयोग low frequency पैदा करना होता है ये वहाँ प्रयोग होता है 5)LAMINATED CORE INDUCTOR:-ये ट...

CAPACITOR IN AC AND DC CIRCUIT IN HINDI

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                             CAPACITOR capacitor का यूज़ dc current को block करना होता है generally इसे micro ferad and pico ferad मे measure करते है capacitor की capacity उस पर लिखी होती है जैसे 20v यानि इस पर 20v या इससे काम का current दे सकते है लेकिन इससे ऊपर का करंट नही दे सकते है BEHAVIOR IN AC AND DC CIRCUIT:- IN AC CIRCUIT:- PARRELAL मे इसे connect करने पर ये करंट को आगे जाने नही देता है लेकिन parrelal मे dc रेक्टिफायर मे लगा होता है जो ac pulse को filter यानि smooth करने का काम करता है SERIES मे ये करंट को आगे जाने देता है BEHAVIOR IN DC CIRCUIT:- SERIES मे ये करंट को block कर  देता है कुछ देर के लिए करंट जाती है क्योंकि तब तक ये चार्ज होती ह और चार्ज होने क बाद ये दक को ब्लाक कर देती है PARRELAL मे इसका कोई effect नही पड़ता है

एलईडी

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               Led (LIGHT EMITTING DIODE) LED मे दो leg होते है एक बड़ा जो की positive होता है और दूसरा छोटा जो negetive होता है इसके अलावा led के अंदर एक फिलामेंट होता है जो बडा होता है वो negative और जो छोटा होता है वो पॉजिटिव होता है WORKING:-इसमें diode की तरह दो region होते है p and n और इन दोनों के बीच को जंक्शन कहते है p मे holes होते है और n मे free इलेक्ट्रान होते है इसके कारण फ्री इलेक्ट्रान होल्स के ओर जम्प करते है और इनके बिच band gap बन जाता है इस band gap में अलग अलग तरह के semiconductor materials डाले जाते है जिससे photons निकलते है जिनसे अलग अलग तरह के लाइट निकलते है red led सबसे कम voltage और white,violent,blue सबसे अधिक वोल्टेज consume करता है